बेरंग होकर ,
रंग में वो ढल गये !
सोचते खुदको खोकर,
कहाँ गलत हम हो गये ?
विचार हुए परावर्तित,
तो रंगीन हैं दुनिया !
सोच हुई अपवर्तित ,
तभी सब बढ़िया ।
भोला ना बन,
झोल ने बताया !
ना खोल अपना दामन,
क्योंकी गोल हैं दुनिया !
पैगाम जो आया वक्त का
खोजते रह गए रंग अपना !
फैसला हुआ सब का,
जालीम हैं यह जमाना !
फरमान जो निकली,
भर दिया सही-गलत का जुर्माना ।
अब रंग अपने बन गये पहेली,
जब सरलता शब्द हो गया पुराना !
●Warm Regards ●
from –
Bhagyashri Bhilore 🤗💚💙❤…